आए थे यहाँ सब अनजान ,
आलम ये है की आज तुझमें मेरी और मुझमें बस्ती है तेरी जान .
आए थे यहाँ खाली हाथ आज कुछ होने को है
लगता है डर क्यूकि कुछ खोने को है
देखा करते थे कॉलेज में जिनको
अब यादों में हे याद करेंगे और भूलने न देंगे कभी उनको
मिलना चाहते हैं पर बहाने कम हैं
लगता है डर क्यूकि कुछ खोने को है
तुम्हारे बिना ये कॉलेज की बातें अधूरी सी
तुम्हारे बिना ये कॉलेज की यादें अधूरी सी
उनसब पलों में तुम हो पर वो पल सोने को हैं
लगता है डर क्यूकि कुछ खोने को है
और हर साँस है सहमी हुई सी धड़कन को एक डर
तुम्हारे जाने के बाद कैसे कटेगा ज़िंदगी का ये सफर
ये पल भी अब जाने को है
इसलिए लगता है डर क्यूकि कुछ खोने को है ….!
Beep Beep! Oh Look! A text!
14 years ago